नई दिल्ली Monsoon 2019: निर्धारित समयावधि के अनुसार आज मानसूनी सीजन का आखिरी दिन होना चाहिए। प्रत्येक वर्ष भारत में मानसून 1 जून से शुरू होकर 30 सितंबर तक खत्म हो जाता है। यह बात और है कि इस बार जाने के समय इंद्रदेव आने का आभास करा रहे हैं। आलम ये है कि आज की बारिश सितंबर माह में होने वाली सर्वाधिक बारिश का 102 साल का रिकॉर्ड तोड़ सकती है। पिछले 6 साल में ये पहला ऐसा मानसूनी सीजन है, जिसमें सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। यूपी व बिहार में जंगल-जमीन-अस्पताल से लेकर जेल तक सब जलमग्न हो गए हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में कैदियों को शिफ्ट करने की नौबत आ गई है।
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बारिश ने 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया
मौसम विभाग के अनुसार पिछले 6 साल में पहली बार इस मानसूनी सीजन के दौरान सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। चार माह में हुई कुल बारिश ने 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पूरे देश में 29 सितंबर तक सामान्य बारिश का आंकड़ा 877 मिमी रहता है। इस बार अब तक 956.1 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 9 फीसद अधिक है। मानसून का मिजाज बता रहा है कि ये आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। मालूम हो कि इस वर्ष मानसून ने देर से दस्तक दी थी। शुरूआत में मानसून की रफ्तार काफी धीमी थी। जून में सामान्य से 33 फीसद कम बारिश रिकॉर्ड की गई थी।
दक्षिण में सबसे बड़ा उलट-फेर, उत्तर पिछड़ा
इस मानसून सीजन में सबसे बड़ा उलट-फेर दक्षिण भारत में हुआ है। दक्षिण भारत में जुलाई के महीने तक 30 फीसद से कम बारिश हुई थी। इसके बाद अगस्त और सितंबर में यहां हुई मूसलाधार बारिश की वजह से पूरे सीजन में इस रीजन में सामान्य से 16 फीसद ज्यादा बारिश हो चुकी है। पूरे भारत में भले ही औसत से ज्यादा बारिश हुई हो, लेकिन केवल उत्तर भारत की बात करें तो यहां अब तक सामान्य से तीन फीसद कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
आज मानसून का अंतिम दिन ‘नहीं है’
सितंबर के महीने का आज अंतिम दिन है और अब भी पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में बारिश का दौर जारी है। सितंबर में पूरे देश में 247.1 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 48 फीसद ज्यादा है। मौसम विभाग के रिकॉर्ड में वर्ष 1901 के बाद सितंबर माह में हुई सर्वाधिक बारिश का ये तीसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। आज (सोमवार को) भी इसी तरह बारिश जारी रही तो 1983 में हुई 255.8 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड टूटना तय है। मौसम विभाग ने सोमवार को भी पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में भारी बारिश की आशंका के मद्देनजर रेड अलर्ट जारी किया है। कुछ अन्य जिलों में भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मालूम हो कि 1983 के अलावा सितंबर 1917 में इससे ज्यादा 285.6 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी। मौसम विभाग के अनुसार अभी कम से कम चार-पांच दिन तक तो मानसून अलविदा कहने वाला नहीं है। इसके और लंबा खिंचने की संभावना है।
लंबी खिंचती विदाई
दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान से एक सितंबर से वापस होना शुरू हो जाता है। इस तरह 30 सितंबर तक यह पूरे देश को अपने सकारात्मक-नकारात्मक प्रभावों के साथ छोड़ चला जाता है। इस बार इसकी वापसी की प्रक्रिया एक महीने की देरी से चल रही है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मानसून के वापस होने की परिस्थितियां अभी हाल-फिलहाल नहीं दिख रही हैं। छह अक्टूबर के बाद वापसी के हालात दिख सकते हैं। तभी विशेषज्ञ 1960 के बाद इसे सबसे देर से विदा लेने वाले मानसून की श्रेणी में रख रहे हैं। 2007 में भी मानसून के विदाई का क्रम 30 सितंबर को शुरू हुआ था। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार पिछले 10 साल से मानसून के देर से लौटने की प्रवृत्ति बढ़ी है। एटमॉस्फेरिक सर्कुलेशन पैटर्न और हवा में नमी की कमी से वापसी का आकलन किया जाता है। जर्मनी के पोट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च की भौतिक विज्ञानी एलेना सुरोव्यतकिना के अनुसार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मानसून की परिधि पर बहुत गर्म तापमान है जिसके चलते अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में इसका लौटना शुरू हो सकता है।
15 राज्यों में आफत की बारिश
देश के 15 राज्यों में बारिश का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा। पिछले चार दिनों के दौरान बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ और बारिश से करीब 100 लोग मारे गए हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से पिछले 24 घंटे में 71 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा यूपी में 35 और बिहार में 21 लोगों की जान गई है। अन्य 4 राज्यों में कुल 15 लोगों की मौत हुई। बिहार के 22 और यूपी के 15 जिलों में बाढ़ से स्थिति खराब है। बिहार के जिन क्षेत्रों में कभी बाढ़ नहीं आती थी, उसके जलमग्न होने पर लोग बाढ़ की तुलना 1975 की बाढ़ से करने लगे हैं। यह बात और है कि मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि एक जून से लेकर 29 सितंबर तक बिहार में हुई कुल बारिश सामान्य से दो फीसद कम है। प्रदेश में अब तक सामान्य बारिश का आंकड़ा 1013.3 मिमी है जबकि वास्तविक बरसात 989.4 मिमी हुई है। यही हाल उत्तर प्रदेश का है। यहां सामान्य के 789 मिमी के मुकाबले 712.2 मिमी बारिश हुई है, जो 10 फीसद कम है।
बलिया जेल में भरा बारिश
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हो रही भीषण बारिश की वजह से खेत, सड़कें और जंगल सब जलमग्न हो चुके हैं। जंगली क्षेत्र में जानवर जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। आबादी वाले इलाकों में घर और सड़कों तालाब बन चुकी है और लोगों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर राहत-बचाव कार्य चल रहा है। इन सबके बीच अब बलिया जेल में पानी भरने की खबर सामने आ रही है। न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार बलिया जेल में पानी भरने से वहां 850 कैदियों की जान पर बन आई है। लिहाजा इन कैदियों को आसपास की सुरक्षित जेलों में स्थानांतरित किया जा रहा है। बुधवार से जिले में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिसकी वजह से जेल की बैरकों में पानी भर चुका है। बलिया जिले की डीएम (जिलाधिकारी) भवानी सिंह ने बताया कि जेल की सभी बैरकों में पांच इंच से एक फुट पानी भर गया है। राज्य सरकार और कारागार विभाग को इसकी सूचना दे दी गई है। वहां से 450 कैदियों को आजमगढ़ जेल में स्थानांतरित करने की अनुमति मिल चुकी है। सोमवार सुबह से ही इन्हें शिफ्ट किया जाना शुरू कर दिया गया है। शेष कैदियों को मऊ और अंबेडकर नगर जेल में स्थानांतरित करने के लिए अनुमति मिलने का इंतजार है। मालूम हो कि बलिया जेल में 350 कैदियों को रखने की क्षमता है और यहां 850 कैदी बंद हैं।
किसको दें दोष
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य से कम बारिश में भी बाढ़ के हालात दो ही वजहों से बन सकते हैं। एक तो हमने जलस्नोतों के जलग्रहण क्षेत्र को कम कर दिया हो और जलनिकासी के रास्तों को खत्म कर दिया हो। दूसरी वजह भी मानव जनित ही है। अगर बारिश की आवृत्ति और प्रवृत्ति में बदलाव दिख रहा है तो यह कुदरत से इंसानी छेड़छाड़ का खामियाजा है। यानी पूरे सीजन के दौरान संतुलित बारिश न होकर आखिर के कुछ दिनों में यकायक भारी बारिश की वजह मौसम चक्र में गड़बड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग से प्रकृति दुनिया के कई हिस्सों में ऐसी तबाही दिखाने लगी है।
भारी बारिश की तीन प्रमुख वजहें
मौसम विभाग के अनुसार इस बार इतनी ज्यादा बारिश होने की तीन प्रमुख वजहें हैं। पहला, अगस्त महीने से भूमध्य सागर (Pacific Ocean) पर सक्रिय अल नीनो (El Nino) जिसने जुलाई से मानसून को रफ्तार दी है। इसी दौरान हिंद महासागर में भी एक मानसून को गति देने वाला एक सिस्टम सक्रिय हो गया। तीसरा कारण है बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक बनने वाले लो प्रेशर सिस्टम। मध्य भारत में हुई रिकॉर्ड बारिश की ये तीन प्रमुख वजहें हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के ऊपर एक और लो प्रेशर सिस्टम सक्रिया हुआ है, जिसके अगले 10 दिन तक बने रहने की संभावना है। ऐसे में अगले दस दिन यहां भारी बारिश हो सकती है।
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