नई दिल्ली। UP Election Result Analysis: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद सत्ता में वापसी के आसार बढ़ गए हैं। शुरुआती रुझानों से भाजपा अपने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी से बढ़त बनाए हुए है। भाजपा बहुमत के आंकड़े से काफी आगे चल रही है। इस चुनाव में यूपी की जनता ने समाजवादी पार्टी के एमवाई फैक्टर को पूरी तरह से नकार दिया है। आइए जानते हैं कि भाजपा के इस बढ़त के प्रमुख कारण क्या हैं। क्या सूबे की जनता का मोदी-योगी पर आस्था कायम है।
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UP Election Result Analysis update:
1- कानून व्यवस्था बना बड़ा फैक्टर
योगी आदित्यनाथ ने जब वर्ष 2017 में प्रदेश की कमान संभाली तो सबसे बड़ी चुनौती यूपी की बिगड़ी कानून व्यवस्था थी। योगी सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कानून व्यवस्था को पटरी पर लाना था। प्रदेश में माफिया राज था। उससे निपटना योगी सरकार के लिए सबसे कठिन काम था। हालांकि, शुरुआती चरण में प्रदेश में कानून व्यवस्था में बहुत सुधार नहीं दिखा, लेकिन कानून व्यवस्था पर योगी सरकार ने विशेष ध्यान दिया। प्रदेश सरकार ने माफियाओं के खिलाफ सख्त अभियान चलाया। सरकार ने अपराधी और भू-माफियाओं को चिन्हित किया और उनको जेल के अंदर ठूस दिया हैं। लोगों ने माफिया राज से राहत महसूस की। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विकास के अलावा कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा बना।
2- किसानों की कर्ज माफी योजना
किसानों की कर्जमाफी का वादा भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में था, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में कहा था कि शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। राज्य सरकार ने अपने इस वादे को निभाया। सरकार ने किसानों के 36 हजार करोड़ रुपए के कर्ज माफ करने की घोषणा जरूर की लेकिन इस योजना की चर्चा कर्ज माफी को लेकर नहीं बल्कि माफी के तौर पर दो रुपए, पांच रुपए, अस्सी पैसे, डेढ़ रुपए जैसी राशियों के कर्जे माफ करने को लेकर ज्यादा रही।
3- 24 घंटे बिजली और गड्ढामुक्त सड़कें
योगी सरकार ने भाजपा के चुनावी वादों में 24 घंटे बिजली देने का वादा भी बेहद सबसे अहम था। सत्ता में आते ही योगी सरकार ने इसके लिए तेजी से कदम उठाया और तय हुआ कि शहरों में 24 घंटे और गांवों में 18 घंटे बिजली दी जाएगी। बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए और भी कई कदम उठाए गए। इसके पहले सूबे में बिजली की हालत काफी खराब थी, आलम यह था कि सूबे के लोगों को बिजली कटौती की समस्या से गुजरना पड़ रहा था। कई जिले तो ऐसे थे, जहां घंटों बिजली नहीं आती थी। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर खराब होने पर गांव वालों को हफ्तों बिना बिजली के रहना पड़ता है। इसके साथ योगी सरकार ने सौ दिन के भीतर सभी सड़कों को गड्ढामुक्त करने का लक्ष्य तय किया था। हालांकि, राज्य सरकार का दावा था कि उसने पहले सौ दिन का, फिर छह महीने का और उसके बाद एक साल का जो एजेंडा तय किया था, उसे काफी हद तक पूरा किया है।
4- एंटी रोमियो स्क्वायड
सूबे में महिलाओं की सुरक्षा सरकार का दूसरा सबसे बड़ा एजेंडा था। इसके तहत एंटी रोमियो स्क्वायड को सरकार ने सख्ती से लागू किया। हालांकि, इसके संचालन में कुछ सवाल भी उठाए गए। यह कहा गया कि एंटी रोमियो स्क्वायड के नाम पर युवक और युवतियों को जगह-जगह परेशान किया जा रहा है। बाद में सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वायड को एक नई योजना और नई तैयारी के साथ दोबारा लागू किया। इसका असर यह रहा कि तमाम महिला कालेजों या स्कूलों के सामने उपद्रवी गायब हो गए। 2022 विधानसभा की जीत ने यह सुनिश्चित किया है कि महिला सुरक्षा पर सरकार द्वारा उठाए गए कदम सही हैं।
5- अवैध बूचड़खानों पर कठोर कार्रवाई
यूपी में अवैध बूचड़खानों को बंद करना योगी सरकार के हित में रहा। यूपी में योगी सरकार बनते ही राजधानी लखनऊ समेत तमाम जगहों पर बूचड़खानों पर छापे पड़े और अवैध तरीके से बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद कराई गईं। सरकार की इस कार्रवाई के बाद मीट कारोबारियों की हड़ताल भी हुई, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग थी। सरकार ने अपने स्टैंड को साफ कर दिया कि बूचड़खानों पर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के फैसलों को लागू किया जाएगा। बता दें कि विधानसभा चुनाव में यह भाजपा का बड़ा चुनावी वादा भी था।
6- योगी-मोदी की जोड़ी को जनता का मिला समर्थन
चुनावी नतीजों के रुझान यह बताते हैं कि प्रदेश की जनता ने योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी का समर्थन किया है। जनता को यकीन हो गया कि डबल इंजन की सरकार ही जनता और सूबे का भला कर सकती है। उसने डबल इंजन की सरकार का समर्थन किया है। जनता ने समाजवादी पार्टी की एमवाई फैक्टर को पूरी तरह से नाकार दिया है।
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